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________________ पूज्य पारसनाथ जिनवर, सकल सुखदातार जी, जे करत हैं नर नारि पूजा, लहत सौख्य अपार जी ॥ ॐ ह्रीं श्रीपाश्वनाथजिनेन्द्राय पूर्णाघ निर्वपामीति स्वाहा । जयमाला यह जग में विख्यात हैं पारसनाथ महान । तिन गुण की जयमालिका, भाषा करूँ बखान ॥ जय जय प्रणमों श्री पार्थव देव, इन्द्रादिक तिनकी करत सेव । जय जय सु बनारस जन्म लीन, तिहुँ लोक विर्षे उद्योत कीन ॥१॥ जय जिनके पितु श्री विश्वसेन, तिनके घर भये सुखचैन देन । जय वामा देवी मात जान, तिनके उपजे पारस महान ॥२॥ जय तीन लोक आनन्द देन, भविजन के दाता भये ऐन । जय जिनने प्रभु का शरण लीन,तिनकी सहाय प्रभुजी सो कीन ॥३॥ जय नाग नागिनी भये अधीन, प्रभु चरणन लाग रहे प्रवीन । तज देह देवगति गये जाय, धरणेन्द्र पद्मावति पद लहाय ॥४॥ जय अञ्जन चोर अधम अजान,चोरी तज प्रभु को धरो ध्यान । जय मृत्यु भये वह स्वर्ग जाय, ऋद्धी अनेक उनने सो पाय ॥५॥ जय मतिसागर इक सेठ जान, तिन अशुभकर्म आयो महान । तिनके सुत थे परदेश मॉहिं, उनसे मिलने की आश नांहिं ॥६॥ जय रविव्रत पूजन करी सेठ, ता फल कर सबसे भई भेंट । जिन-जिनने प्रभु का शरण लीन,तिन ऋद्धि सिद्धि पाई नवीन ॥७॥ जय रविव्रत पूजा करहिं जेय, ते सौख्य अनन्तानन्त लेय । धरणेन्द्र पद्मावति हुये सहाय,प्रभुभक्त जान तत्काल आय ॥८॥ पूजा विधान इह विधि रचाय, मन वचन काय तीनों लगाय। जो भक्ति भाव जयमाल गाय,सो ही सुख सम्पति अतुल पाय ॥९॥ बाजत मृदंग बीनादि सार, गावत नाचत नाना प्रकार । तन नन नन नन नन ताल देत,सन नन नन नन सुर भर सो लेत ॥ 625
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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