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श्री आदिनाथजिन-पूजा, कुण्डलपुर (दमोह) (श्री उत्तम सागर जी महाराज)
स्थापना आदिम जिनेश्वर हैं बड़ेबाबा जगत उद्धार का। इस कर्म भूमि में प्रथम ही मुक्ति पथ उपदेश का।।
यह क्षेत्र कुण्डलपुर हुआ विख्यात प्रभु तव नाम से।
___ पूजें तुम्हें आह्वानन कर हम आओ प्रभु शिव-धाम से।। ऊँ ह्रीं श्री बड़ेबाबा आदिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर-अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्)
ऊँ ह्रीं श्री बड़ेबाबा आदिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ऊँ ह्रीं श्री बड़ेबाबा आदिनाथजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव-भव वषट्। (सन्निधिकरणम्)
क्रोध अग्नि को बुझाने दो क्षमा-जल हे! प्रभो। इस हेतु हम जल को चढ़ाकर पूजते हैं आपको।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़ेबाबा इन्हें जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिवपद पावते।। ऊँ ह्रीं श्री बड़ेबाबा आदिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु- विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।।।
संतोषमय चन्दन मिले अब मेटने भव ताप को। इस हेतु चन्दन को चढ़ाकर पूजते प्रभु आपको।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़ेबाबा इन्हें जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिवपद पावते।। ऊँ ह्रीं श्री बड़ेबाबा आदिनाथजिनेन्द्राय संसारताप- विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा।2।
अब जन्म लेना ना पड़े, ज्यों अक्षतों का होत है। इस हेतु अक्षत को चढ़ाकर पूजा प्रभु की करत हैं।। __ आदिम जिनेश्वर ये बड़ेबाबा इन्हें जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिवपद पावते।। ॐ ह्रीं श्री बड़ेबाबा आदिनाथजिनेन्द्राय अक्षयपद-प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।।
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