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जय पाशनाह (पार्श्वनाथ) भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।।
जय करत पुनीत पुनीत आप। जय दारिद-भंजन नाथ जाप।। जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।। जय सिद्धि-शिला के वसनहार। जय ज्ञानमई चेतन प्रकार ।। जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।। जय चिन्तितार्थ फल देत रोज। जो ध्यावे ताको खोज खोज।। जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।। जय धन्य धन्य स्वामी दयाल। जय दीनबन्धु तुम लोकपाल ।। जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।। जय तुम पदतर की रेणु अंग। जो धरे लहै सो छवि अनंग।। जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।। जय तुम कीरति छाई जहान। चहुँधा छिटकी फूल समान।। जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।। तुम अकथ कहनी कथै जौन। काकी मति एती है सु कैन।। जय पासनाह भव-भीर टाल। कर दे स्वामी अब के निहाल।। नित थके शेष के कथन गाय। नर दीनन को कह कथन आय।।
जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।। जय करत अरज मनरंगलाल। हम पर किरपानिधि हो दयाल।। जय पाशनाह भवभीर टाल, कर दे स्वमी अब के निहाल।।
शार्दूल विक्रीडित छन्द या जयमाला पार्श्वनाथ जिनकी, आनन्दकारी सदा। जो धारे निजकण्ठ भाव धरिके, देखे न नीचे कदा।। ऊँचे ऊँचे पद लहत नर सो, ताकी कहों का कथा। पाछे भौदधि पार लेय सुख सों, आनन्द पावे यथा।। ओं ही श्री पार्श्वनाथजिनेन्द्राय सर्वसुख प्राप्तये पूर्णार्घ्यम्।
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