________________
जग जीव उधारण को महन्त । जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। याते प्रभु अब करुणा करहु जन जाति आपनो सुक्ख देहु ||
छन्द काव्य
पुष्पदन्त भगवन्त तनी यह जयमाला । पढ़े पढावे कण्ठ करे सो सब में आला || होय महा गुणवृन्द त्रास सुपने नहिं पावे।
लेय सिद्धिपद अचल फेरि नहिं लोक मँझावे ||
ओं ह्री श्री पुष्पदन्तजिनेन्द्राय सर्वसुख प्राप्तये पूर्णार्घ्यम्।
सोरठा
पुष्पदन्त भगवान्, तुम चरणन परतापतें। बरतो सकल जहान, पुत्र पौत्र परताप सुख।।
ओं ह्रीं श्री पुष्पदन्तजिनेन्द्राय नमः। (इस मंत्र की जाय देना)
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
312