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हरिचन्दन अगर कपूर, चूर सुगन्ध करा । तुम पदतर खेवत भूरि, आठों कर्म जरा ॥
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्द्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो । ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।
ऋतुफल कलवर्जित लाय, कंचन-थार भरों । शिव-फल-हित हे जिनराय, तुम ढिंग भेंट धरों॥
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्द्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ॥ ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।
जलफल वसु सजि हिमथार,तन-मनमोद धरों। गुण गाऊँ भव-दधि तार, पूजत पाप-हरों ॥
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्द्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ॥ ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ।
पञ्चकल्याणक - राग टप्पा चाल मोहि राखो हो सरना, श्रीमहावीर जिनरायजी, मोहि राखो हो सरना । गरभ साढ़ सित छट्ठ लियो थिति, त्रिशला उर अघ-हरना।
सुर सुरपति तित सेव करें नित, मैं पूजों भव-तरना।। मोहि राखो हो सरना, श्रीमहावीर जिनरायजी, मोहि राखो हो सरना ॥ ॐ ह्रीं आषाढशुक्लषष्ठयां गर्भकल्याणकप्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ।
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