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बनारसी-नाममाला मित्र नरोत्तम थान, परम विचक्षण धर्मनिधि । वासु वचन परवान,कियो निबंध विचार मनि ॥१७०।। सोरहसै सत्तरि समै, असू मास सित पक्ष । विजैदसम ससिवार तह, श्रवण नखत परतक्ष ॥१७१।। दिन दिन तेज प्रताप जय, सदा अखंडित श्रान । पातसाह थिर नूरदी, जहाँगीर सुलतान ॥१७२ ।। जैन धर्म श्रीमाल कुल, नगर जौनपुर वास । खडगसेन-नंदन निपुन, कवि बनारसीदास ॥१७३।। कुसुमराजि नाना वरन, सुन्दर परम रसाल । कोमल-गुनगर्भित रची, नाममाल जैमाल ॥१७४॥ जे नर राखें कंठ निज, होय सुमति परकास । भानु सुगुरु परसाद तह, परमानंद-विलास ||१७५।।
* इति बनारसी-नाममाला *