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हिन्दी शब्दकोष
८३पंसु रेनु रज धूलि तह, ८४ परिष पंक जंबाल ।
"किंचित तुच्छ मनाक तनु, ८६दीरघ लंब विसाल ॥६५॥ ८ "संनिधि पास समीप अभि, निकट निरंतर लग्ग।
"अंतर दूरि निरापरम, ८ सरनि पंथ पथ मग्ग ।।६८|| ९०पन्नगलोक पतालपुर, अधोभवन बलिधाम । ९'सुषिर कुहिर रंधर विवर, १२वट कूप विलनाम।।६९
वासुकि शेष सहस्रफनि, पन्नगराज वग्वान | ९४गरल हलाहल प्राणहर, कालकूट विष जान ॥७०|| • काकोदर विषधर फनी, अहि भुजंग हरहार !
लेलिहान पन्नग उग्ग, भोगी पवनाधार ॥१॥ ९६निग्य नरक कुंभोगवन, दुग्गति दुःखनिधान ।
८३ धूलिनाम ८४ कीचड़नाम ८५ तुच्छनाम ८६ दीर्घनाम ८७ समीप ( निकट ) नाम ८८ दूरनाम ८६ मार्गनाम ६० पातालनाम ६१ विलनाम ६२ कपनाम ६३ शेषनागनाम ६४ विषनाम ६५ मर्पनाम ६६नरकनाम।