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________________ २४ बनारसी-नाममाला 3“सूर विभाकर घामनिधि, महसकिग्न हरिहंम । माग्तंड दिनर्मान तरीन, श्रादिति अालप-श्रम ॥३९।। सविता मित्र पतंग रवि, तपन हेलि भग भान । जगतविलोचन कमलहित, तिमरहग्न निगमान ॥४॥ १ इंदु छपाकर चंद्रमा, कुमुदबंधु मृगअंक | औषधीस राहिनिग्मन, निसमनि माम समांक ।।४।। चन्द्र कलानिधि नखतपनि, हग्गिजा हिमभान । सुधासूत द्विजगज विधु, क्षीरसिंधुसुत जान ॥४॥ * ° उडुगन भानि नक्षत्र ग्रह, ग्मिय नारका नार । ४ 'सीतल सिसिर तुषार हिम, तुहिन मीत नीहार ॥४३।। ४२मलिन मलीमसि कालिमा, लंछन अंक कलंक । ४ छाम छुधित दुर्बल दुखित, दीन होन कृश रंक ॥४४॥ ४४विभा मयूख मर्गचिका, जानि कामि महधाम । ३८ सूर्यनाम ३६ चन्द्रनाम ४० नक्षत्रनाम ४१तुषारनाम ४२ कलंक नाम ४३ दुर्बलनाम ४४ किरणनाम।
SR No.009237
Book TitleBanarsi Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1941
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size2 MB
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