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प्रस्तावना
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यहाँ एक बात और प्रकट कर देनेकी है, और वह यह कि यह 'नाममाला' कविकी उपलब्ध सभी रचनात्रों में पूर्व की जान पड़ती है । यद्यपि इससे पूर्व उक्त कविवरने युवावस्था में श्रृङ्गाररसका एक काव्यग्रन्थ बनाया था, जिसमें एक हजार दोहा - चौपाई थीं, परन्तु उसे विचारपरिवर्तन होने के कारण नापसंद करके गोमतीके प्रथाद जल में बिना किसी हिचकिचाहटके डाल दिया था । दोसकता है कि 'नाममाला' की रचना उक्त काव्य-ग्रन्थके बाद की गई दो; परन्तु कुछ भी हो, कविवरकी उपलब्ध सभी रचनाओं में यह ग्रन्थ पदली कृति है । इसीसे २३ वर्ष बाद की गई नाटक समयसार की रचना में गम्भीरता, प्रौढता और विशदता और भी अधिक उपलब्ध होती है ।
नाटक समयसारकी उत्थानिकामें वस्तुनो नामवाले कितने ही पद्म पाए जाते हैं, उनकी नाममालाके पद्योके साथ तुलना करनेसे नाटक समयसारवाले पद्योंकी प्रौढता,