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गाथानुक्रमणिका नवनागसहस्राणि न सामान्यत्यात्मननोदेति नानात्मतामप्रजहत् नित्यत्वैकान्तपक्षेऽपि निमेषाणां सहस्राणि निरस्यति परस्यार्थ
19/9 10/15
5/3 2/15 11/4
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3/7
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86 155 218 171
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पउमदलगब्भउरं पक्खेवरासिगुणिदो पच्चय-सामित्तविही पच्चाहरित्तु विसएहि पच्छा पावाणयरे पञ्चशतनरपतीनाम् पढद्यमपुढवीए चदुरो पढमक्खो अंतगओ पढमक्खो अंतगओ पढमिच्छ सलागगुणा पढमो अबंधयाणं पढमो अरहंताणं पढमो अरहताणं पढमं पयडिपमाणं पणगादी दोहि जुदा पणवणा इर वण्णा पणिदरसभोयणेण य पणुवीसं असुराणं पणुवीसं असुराणं पणुवीसं जोयणाणि पण्णट्ठी च सहस्सा
1/16 30/3
4/8 29/13 36/9
40/1 123/9 11/7 2/12 20/10 75/9 78/1 78/9
9/7 127/9
22/8 226/2 18/4 1/7
8/9 38/3
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