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धवला पुस्तक 16
द्रव्य लेश्या के वर्ण किण्णं भमरसवण्णा णीला पुण णीलिगुणियसंकासा। काऊ कवो दवण्णा तेऊ तवणिज्जवण्णाभा।।1।। पम्मा पउमसवण्णा सुक्का पुण कासकुसुमसंकासा। किण्णादिदव्वलेस्सावण्णविसेसा मुणेयव्वा।।2।।
कृष्ण लेश्या भ्रमर के सदृश, नील लेश्या नील गुण वाले के सदृश, कापोत लेश्या कबूतर जैसे वर्णवाली, तेजलेश्या सुवर्ण जैसी प्रभावाली, पद्म लेश्या पद्म के वर्ण समान और शुक्ल लेश्या कास के फूल के समान होती है। इन कृष्ण आदि द्रव्य लेश्याओं को क्रम से उक्त वर्णविशेषों रूप जानना चाहिये।।1-2।।
कृष्ण लेश्या का लक्षण चंडो ण मुवइ वेरं भंडणसीलो य धम्मदयरहिओ। दुट्ठो ण य एइ वसं किण्णाए संजुओ जीवो।।1।।
कृष्ण लेश्या से संयुक्त जीव तीव्र क्रोधी, बैर को न छोड़ने वाला, गाली देने रूप स्वभाव से सहित, दयाधर्म से रहित, दुष्ट और दूसरों के वश में न आने वाला होता है।।1।।
नील लेश्या का लक्षण मंदो बुद्धीहीणो णिव्विण्णाणी य विसयलोलो य। माणी मायी य तहा आलस्सो चेव भेज्जो य।।2।। णिहावंचणबहुलो धणधण्णे होइ तिव्वसण्णाओ। णीलाए लेस्साए वसेण जीवो हु पारंभो।।3।।
जीव नील लेश्या के वश में होकर मन्द, बुद्धिविहीन, विवेक से रहित, विषयलोलुप, अभिमानी, मायाचारी, आलसी, अभेद्य, निद्रा (या निन्दा) व धोखेबाजी में अधिक, धन-धान्य में तीव्र अभिलाषा रखने