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धवला उद्धरण
आगे असंज्ञी पर्यन्त यह विषय क्षेत्र दूना - दूना होता गया है।।48।।
चतुरिन्द्रिय जीव के चक्षु का विषय
उणतीसजोयणसया चउण्णा तह य होंति णायव्वा । चउरिदियस्स णियम चक्खुप्फासो सुणियमेण ।। 49 ।। चतुरिन्द्रिय जीव के चक्षु इन्द्रिय का विषय नियम से उनतीस सौ चौवन योजन प्रमाण है । 149 ।।
संज्ञी पंचेन्द्री का चक्षु का विषय
उणसट्ठिजोयणसया अट्ठ य तह जोयणा मुणेयव्वा । पंचिदियसण्णीणं चक्खुप्पासो मुणेयव्वो । 15011 पंचेन्द्रिय संज्ञी जीवों के चक्षु इन्द्रिय का विषय उनसठ सौ आठ योजन प्रमाण जानना चाहिये ||50||
असंज्ञी पंचेन्द्री का श्रोत्र - विषय
अट्ठेव धणुसहस्सा विसओ सोदस्स तह असणिणस्स । इय पदे णायव्वा पोग्गलपरिणामजो एण ।। 51।।
असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव के श्रोत्र का विषय आठ हजार धनुष प्रमाण है। इस प्रकार पुद्गल परिणाम योग से ये विषय जानना चाहिये ।। 51।।
संज्ञी पंचेन्द्रिय के क्षेत्र विषयक प्रमाण पासे रसे य गंधे विसओ णव जायेणा मुणेयव्वा । बारह जोयण सोदे चक्खुस्सुं ढ पवक्खामि ।। 52।।
संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों के स्पर्श, रस व गन्ध विषयक क्षेत्र नौ योजन प्रमाण तथा स्रोत्र का बारह योजन प्रमाण जानना चाहिये। चक्षु के विषय को आगे कहते हैं। 52।।