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धवला पुस्तक 4
107 और एक अर्थात् एक सौ तेरह (113) का भाग देवे। पुनः व्यास का तिगुणा जोड़ देवें, तो सूक्ष्म से भी सूक्ष्म परिधि का प्रमाण आ जाता है।।9।।
विविध कल्पों में विमानों की संख्या वत्तीसं सोहम्मे अठ्ठावीसं तेईव ईसाणे। वारह सणक्कुमारे अद्वैव य होति माहिंदे।।10।।
सौधर्म कल्प में बत्तीस लाख विमान हैं, उसी प्रकार से ईशान कल्प में अट्ठाईस लाख, सनत्कुमार कल्प में बारह लाख तथा माहेन्द्र कल्प में आठ लाख विमान होते हैं।।10।। बम्हे कप्पे बम्होत्तरे य चत्तारि सयसहस्साई। छसु कप्पेसु य एवं चउरासीदी सयसहस्सा।।11।।
ब्रह्म और ब्रह्मोत्तर दोनों कल्पों के मिलाकर चार लाख विमान हैं। इस प्रकार इन पूर्व में बताए गये छह कल्पों में विमानों की संख्या चौरासी लाख होती है।।11।।
पण्णासं तु सहस्सा लंतवकाविट्ठएसु कप्पेसु। सुक्क-महासुक्केसु य चत्तालीसं सहस्साइं।।12।।
लान्तव और कापिष्ठ इन दोनों कल्पों में पचास हजार विमान होते हैं। शुक्र और महाशुक्र कल्प में चालीस हजार विमान हैं।।12।।
छच्चे व सहस्साई सयारकप्पे तहा सहस्सारे। सत्तेव विमाणसया आरणकप्पच्चुदे चेय।।13।।
शतार और सहस्रार कल्प में छह हजार विमान होते हैं। आनत, प्राणत, आरण और अच्युत, इन चार कल्पों में मिलाकर सात सौ विमान होते हैं ।।13।।