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________________ मुझे यह व्यक्त करते हार्दिक प्रसन्नता होती है कि गत अर्द्धशताब्दी से मेरा उनके साथ साहित्यिक सौहार्द रहा है। अपने जीवन को साधना, ध्यान तथा साहित्यिक कृतित्त्व के रूप में निखारने का श्री मेहता को जो सुअवसर प्राप्त हो सका उसका एक कारण उनका सौभाग्यशाली होना है क्योंकि पितृकुल मातृकुल और अपने पुत्र-पौत्रादि परिवार का उन्हें वह सहयोग रहा, जिसमें वे तद्गत समस्याओं से उलझने में लगभग विमुक्त रहे। यह रचना आज के विषमता बहुल वातावरण में पाठकों के लिए नि:संदेह शान्तिबहुल भावों का उद्रेक करने में उपयोगी सिद्ध होगी, जिससे न केवल उन्हें साहित्यिक सरसता का ही आनंद प्राप्त होगा वरन् अपने दैनंदिन जीवन में प्रशान्त मनोदशा के साथ कार्यशील रहने का पथ भी प्राप्त होगा। सुधी पाठक इससे अधिकाधिक रूप में लाभान्वित हों, यही मेरी मंगल कामना है। डॉ. छगनलाल शास्त्री कैवल्य धाम, सरदारशहर, जिला- चुरू राजस्थान)
SR No.009229
Book TitleAntar Ki Aur
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJatanraj Mehta
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2013
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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