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________________ ३१६मा यंत्रश्यम् मात्रावाचन अजित नवनिदिन|| मति || रोहिणी जप्ती विजयस बचांकी ला घरकनक शंख विदुमा उडीसतिशतयेचनजान देवदत्तस्य सर्वहर सर्व चिनरदत्ता POHDoh दिशी १३ता बनवला जाऊ अ६ मुनि शांति मे स्याहा पर पण २५१ ८०२ ....... देवदर नामा मानसी. महामान तनाम निमी पर्व ईमान: जिना रिहा करु चिरोटा अबुमा रचा t.... रोटा वा मानसी महामानसी पर बाराय स्वाहा ।। ॐ निधानं म मर पूजितं चंदै स्वाहा प्रति सदोषान्ह२२ नाशय 55: स्वाहा ॥ _ * परिवाराय स्वाहा फेरि नरसा कालि मावलि ॥मर क यात पात सर्वत्र संवेधूल सर्वकाश्य सर्वश्वास नकमि न सन्नीनं विगत मोदं। h परयः ६५ घडी करJLy कालिमहाकानि इमु सुविधिीितलाश्रयांसाचारू 7 स्था きていて、 &r.63 42 प ए ए एप मुनि शांति में स्वाहा मेरी गांधारी महाजाला मानया Eal हि प में स्वर दा [ ऐतिसर्यवारभृति सर्वरोगान् भूत प्रेत पिशायादि शाकिनी सप्ततिशतं जिनानां मदाहाली मानवी (Aya Lulur tus (ayuHREk Punjnees-metrigla ચિત્ર ૧૭૬ તિજયપહૃત્ત યંત્ર ૧૫ પૃષ્ઠ ૨૭૦ ચિત્ર ૧૩૭ તિજયપહુત્ત યંત્ર ૧૬ પૃષ્ઠ ૨ ૭૦
SR No.009125
Book TitleMahaprabhavi Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1938
Total Pages762
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size100 MB
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