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॥ बंध्यार्थिनी जब ति मृतवत्सा गर्भधा मयति. काकवंध्याप्रसवति सर्वभूतपि ॥ शान्य राक्षसात् रक्षा जब तिस १६॥
देवदत
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देवदत
हातू ही
देवदत्त
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दिवदन
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ચિત્ર ૪૧ ૩૬૦ યંત્ર ૧૬ પૃષ્ટ ૧૪૪
बाग्रह रक्षा भवति - २७॥
उहाँद्रीचा स्वाद की चामुं स्वाहा
लादाचा स्वाहा द्राड़ी चामुवाउँदा द्राचामुं मे स्वाहा
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(देवदन
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डाँडीचा मुदेवा का
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चित्र ४२ उव० यंत्र १७ ५४ १४५
शुद्धी ही वासुंदे स्वाहा