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गुरु-स्तुति
हे गुरु ! तव मूर्ति अद्भुत, ध्यान का यह मूल है, हे गुरु ! तव चरण अद्भुत, पूजना के मूल है; हे गुरु ! तव वचन अद्भुत मंत्र के ये मूल है, कलापूर्णसूरी ! गुरुदेव ! तू अद्भुत भक्ति-फूल है ।
કિં મે પરો પાસઇ કિંચ અપ્પા, કિં વાહં ખલિએ ન વિવજયામિ | ઇવ સમ્મ અણુપાસમાણો, અણાગયે નો પડિબંધ કુજા
॥ १३॥ જત્થવ પાસે કઈ દુષ્પત્તિ, કાણ વાયા અદુ માણસેણું / તથૈવ ધીરો પડિસાહરિજ્જા, આઇત્તઓ ખિપ્પમિવ ખલીપ્સ
॥ १४॥ જલ્સેરિસ એગ જિઇંદિઅલ્સ, ધિઇમઓ સપુરિસમ્સ નિર્ચ | તમાઠુ લોએ પડિબુદ્ધજીવી, સો જીઆઇ સંજમ-જીવિએણે
।। १५॥ અપ્પા ખલુ સમય રખિએવો, સવિદિએહિ સુસમાહિએહિ | અરશ્મિઓ જાઇપહં ઉઇ, સુરખિઓ સલ્વદુહાણ મુઇ ત્તિ બેમિ | ૧૬ || // ઇઇ સિરિદસઆલિએ વિવિzચરિઆ બીઆ ચૂલા સમત્તા // ૨ /
//ઇઇ દસઆલિએ મૂલસૂત્ત સમi II
'है तू ही ब्रह्मा तू ही विष्णु, तू ही है शंकर यहां, तू ही है परब्रह्म' गुरु की, है स्तुति यह अन्य में; पा कर तुम्हें गुरुदेव ! प्यारे ! हूं बना अतिधन्य मैं, अध्यात्मयोगी श्रीकलापूर्णप्रभु ! तुझको नमन ।
'गुरु' शब्द का संदेश सुन लो : है रहस्यों से भरा, 'गु' गुणातीत 'रु' रूपातीत है प्रभु सोचो जरा; प्रभु प्राप्त करना हो अगर सेवो गुरु, गुरु द्वार है, कलापूर्णसूरि गुरुदेव को वंदन करो, उद्धार है ।
तू दीप है, तू देव है गुरु ! तू ही दिव्य प्रकाश है, तू मात है, तू तात है गुरु ! तू ही चित्त-उल्लास है; तू स्वर्ग है, तू मुक्ति है गुरु ! तू धरा-आकाश है, कलापूर्णगुरुवर ! तू अहो ! अद्भुत भक्ति-विकास है।
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