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जंबुदीव सिरिभरहखित्त, खोणी तलमंडण, मगधदेश सेणियनरेस, रिउदलबलखंडण; घणवरगुव्वरनाम गाम, जहि गुणगणसज्जा,. विप्प वसे वसुभूई तत्थ, तसु पुहवीभज्जा ताण पुत्त सिरिइंदभूइ, भूवलय प्रसिद्धो, चउदहविज्जा विविह रूव, नारीरस विद्धो; विनय विवेक विचार सार, गुमगणह मनोहर सातहाथ सुप्रमाण देह, रूपे रंभावर नयण वयण कर चरण जिणवि, पंकज जळे पाडिअ, तेजे तारा चंद सूर, आकाशे भमाडिअ; रूवे मयण अनंग करवि, मेल्हिओ निरधाडिअ, धीरमें-मेरू गंभीर सिंधु चंगिम चयचाडिअ पेखवि निरूवमरूव जास, जण जंपे किंचिअ, एकाकी कलिभीते इत्थ, गुण मेहल्या संचिअ; अहवा निश्चे पुव्वजम्मे, जिणवर इणे अंचिअ, रंभा पउमा गौरि गंगा रति, हा विधि वंचिअ नहिबुध नहीगुरु कवि न कोइ, जसु आगळ रहिओ, पंचसयां गुणपात्र छात्र, हींडे परिवरिओ;
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