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पवर-लक्खणोवचिअ-सोम-चारुरूवं; सुइ-सुह-मणा-ऽभिराम-परम-रमणिज्जवर-देव-दुंदुहि-निनाय-महुर-यर-सुह-गिरं. वेड्ढओ. ९ अ-जिअं जिआरिगणं, जिअ-सव्व-भयं भवोह-रिउं; पणमामि अहं पयओ, पावं पसमेउ मे भयवं. रासालुद्धओ.
१० कुरु-जण-वय-हत्थिणा-उर-नरीसरो पढमं तओ महा-चक्कवट्टि-भोए मह-प्पभावो; जो बावत्तरि-पुर-वर-सहस्स-वर-नगर-निगम-जण-वय-वई, बत्तीसा-राय-वरसहस्सा-ऽणुयाय-मग्गो. चउ-दस वर-रयण-नव-महा-निहिचउ-सटि ठ-सहस्स-पवर-जुवइण सुंदर-वई; चुलसी-हय-गय रह-सय-सहस्स-सामी, छन्नवइ-गामकोडि-सामी आसी जो भारहम्मि भयवं. वेड्ढओ.
११ तं संतिं संति-करं संतिण्णं सव्व-भया; संतिं थुणामि जिणं; संतिं विहेउ मे. रासाऽऽनंदिअयं. १२ इक्खाग! विदेह-नरीसर! नरवसहा! मुणि-वसहा!,
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