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आत्मानी सन्झाय क्या तन मांजतां रे, एक दिन मिट्टीमे मील जाना; मीटीमें मील जाना बंदे, खाखमें खप जाना. क्या० १ मीट्टीया चून चून महेल बंधाया, बंदा कहे घर मेरा; एक दिन बंदे उठ चलेंगे, यह घर तेरा न मेरा. क्या० २ मीट्टीया ओढण मीट्टीया बीछावण, मीट्टीका सीराना; इस मीट्टीका एक भूत बनाया, अमर जाल लुभाना.क्या० ३ मीटाया कहे कुंभारने रे, तुं क्यां खोदे मोय; एक दिन एसा आवेगा प्यारे, में खुदुंगी तोय. क्या०४ लकडी कहे सुथारने रे, तुं क्यां छोले मोय; एक दिन ऐसा आवेगा प्यारे, मे भुंलुंगी तोय. क्या० ५ दान-शीयल-तप-भावना रे, शिवपुर मारग चार; आनंदघन कहे चेतलो प्यारे, आखर जाना गमार. क्या० ६
शिखामणनी सन्झाय गरभावासमां चिंतवे रे, हवे न करशुं पाप; जब आयो तब विसर्यो रे, मांड्यो मांड्यो घणो रे संताप के, सुण रे चंचळ जीवडा रे, तुं तो परभव कैसो लईश के. १ जो नवकार गणावीये तो, नयणे नींद भराय; नाटक चेटक निरखता तो,
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