________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कठण छे मुज कर्मनी कहाणी, सुणो प्रभुजी मुजवाणी; राजकुंवरी हुं चौटे व्हेंचाणी, दुःख तणी नथी खामी नाथ.
वीर...२ तात ज मारो बंधन पडीयो, माता मरण ज पामी; मस्तकनी वेणी कतराणी, भोगवी में दुःख खाणी नाथ.
वीर...३ मोंघी हती हुं राज कुटुंबमां, आजे हुं त्रण उपवासी; सुपडाने खूणे अडदना बाकुला, शुं कहुं दुःखनी राशी नाथ.
वीर ४ श्रावण भादरवा मासनी पेरे, वरसे आंसुडानी धारा; गद्गद् कंठे चंदन बाळा, बोले वचन करूणा नाथ.
वीर...५ दुःख ए सघळु भुलुं पूर्वमुं, आपना दर्शन थातां; दुःख ए सघळु हैये आवे, प्रभु तुम पाछा जाता नाथ.
वीर...६ चंदन बाळानी अरज सुणीने, नीर नयणमां निहाळे; बाकुळा लई वीर प्रभुजी पधारे, दया करी दीन दयाळे नाथ.
वीर...७ सोवन केरी त्यां थई वृष्टि, साडी बार कोडी सारी;
८२
For Private And Personal Use Only