________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
वाडा मांहि बकरा रहेशे, मृगपति वनमां चरशे; विष्टा भोजन रासभ मौक्तिक, चारो हंस ते चरशे. हम.६ चिद्घन आतम अंतर खोज्यो, स्थिर दृष्टि चित्त धारी; बुद्धि सागर शाश्वत शिवपद, पामी लह्यो सुख भारी. हम.७
अध्यात्म सन्झाय जगतना खेल छे खोटा, कदी नहीं थाय मन मोटा. जग. सदा छे दुःख मायामां, सदा सुख ध्यान छायामां; प्रभुनुं नाम सुख आपे, प्रभुनुं नाम दुःख कापे. जग.१ प्रभु भक्ति न जो थाशे, तदा दिन दिन दुःख थाशे; जीभलडी गा जिनेश्वरने, हृदय तुं देवने स्मरने. जग.२ मुवा जे मोजमां माता, तर्या जे देवने गाता; जगतमां जन्म धार्यो तें, भजन विण जन्म हार्यो तें. जग.३ छेवटनी आंख मींचाशे, तदा तुं खूब पस्ताशे; हजी छे हाथमां बाजी, करी ले आतमने राजी. जग.४ रमत घोडा गमत गाडी, सुंदर शय्या अने लाडी; मलेलो भोग पण जाशे, पाछलथी कोई ते खाशे. जग.५ गणी तुं फोक दुनियाने, प्रभुना भव्य गुण गाने; बुद्ध्यब्धि संतनो संगी, ग्रहे ते सुख गुणरंगी. जग.६
For Private And Personal Use Only