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पहोंत्या ते केवली परषदा, बाहुबलि मुनिराय रे; अजरामर पदवी लही, समय सुंदर वंदे पाय रे. वीरा.७
प्रसन्नचंद्र राजर्षि सन्झाय प्रणमुं तुमारा पाय, प्रसन्नचंद्र प्रणमुं तुमारा पाय; राज छोडी रलीयामणुं रे, जाणी अथिर संसार. वैरागे मन वालीयुं रे, लीधो संयम भार.
प्रसन्न.१ समशाने काउस्सग्ग रही रे, पग उपर पग चढाय; बाहु बे ऊंचा करी रे, सूरज सामी दृष्टि लगाय. प्रसन्न.२ दुर्मुख दूत वचन सुणी रे, कोप चड्यो तत्काल; मनशुं संग्राम मांडीओ रे, जीव पड्यो जंजाल. प्रसन्न.३ श्रेणिक प्रश्न पूछे ते समे रे, स्वामी एहनी कुण गति थाय; भगवंत कहे हमणां मरे रे, तो सातमी नरके जाय. प्रसन्न.४ क्षण एक आंतरे पूछीयुं रे, सर्वारथ सिद्ध विमान; वागी देवनी दुंदुभि रे, ऋषि पाम्या केवलज्ञान. प्रसन्न.५ प्रसन्नचंद्र ऋषि मुगते गया रे, श्री महावीरना शिष्य; रूप विजय कहे धन्य धन्य रे, दीठा जे प्रत्यक्ष. प्रसन्न.६
मेघकुमार सन्झाय धारणी मनावे रे मेघकुमारने रे, तुं मुज एकज पुत्र; तुज विण जाया रे! सूना मंदिर मालीयां रे,
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