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नवपद सज्झाय नवपद महिमा सार, सांभलजो नर नार; आ छे लाल, हेत धरी आराधीयेजी ते पामे भवपार, पुत्र कलत्र परिवार;
आ छे लाल, नवपद मंत्र आराधीयेजी. १ आसो मास सुविचार, नव आंबिल निरधार; आ छे लाल, विधिशुं जिनवर पूजियेजी. अरिहंत पद सार, गुणगुं तेर हजार;
आ छे लाल, नवपदनुं एम कीजीए जी. २ मयणासुंदरी श्रीपाल, आराध्यो तत्काल; आ छे लाल, फल दायक तेहने थयोजी. कंचन वरणी काय, देहडी तेहथी थाय;
आ छे लाल, श्री सिद्धचक्र महिमा कह्योजी. ३ सांभली सहु नरनार, आराधो नवकार; आ छे लाल, हेत धरी हैडे घणुंजी. चैत्र मासे वली एह, नवपद| धरो नेह;
आ छे लाल, पूजे दे शिवसुख घणुंजी. ४ इण परे गौतम स्वामी, नवनिधि जेहने नाम; आ छे लाल, नवपद महिमा वखाणियोजी.
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