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हार नहीं आत्मा दृष्टि खूले, रिद्धि मिले राग : झूलणा छंद हार नहीं आतमा हार नहीं आतमा,
___ पुण्ययोगे मनुष्य जन्म धार्यो, विषयनी वासना पाशना बंधथी,
__ हाथ हीरो चढ्यो फोक हार्यो. हार-१ मारूं मारूं करी नाचीयो भव विषे,
मारूं मारूं करी फोक फूले; जन्म त्यां मृत्यु छे चेतजे आत्मा,
__ सद्गुरु संगथी नेत्र खूले. हार-२ काळनी पांख छे जगतमां कारमी,
झडपी ले जीवने एक फाळे; केई चाल्या अने चालशे प्राणीया,
मूढ शुं मोहमां दिन गाळे. हार-३ लक्ष्मीना लोभमां थोभ छे नही जरा,
ज्ञानथी देखतां सर्व खोटुं; स्वप्ननी सुखलडी भूख भांगे नहीं,
__ सत्य छे ज्ञानीनुं वाक्य मोटुं. हा-४ मणि अने रत्ननी खाण पामी अरे, शीदने पत्थरोने उपाडे;
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