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आतम सम विश्वने माने, सात्त्विक प्रेमाचारी. संतो. ३ मुदिता मैत्री माध्यस्थ करूणा, दुर्गुण दोषने वारे; जूठने त्यागे सत्यने धारे, मानवभव अजवाळे. संतो. ४ जूठनो पक्ष धरे नहीं क्यारे, जीवे संतना प्यारे, बुद्धिसागर सद्गुरु सेवे, चढतो धर्मी व्हारे. संतो. ५
आत्म कुटुंबने देखो आतम! आत्म कुटुंबने देखो आतम! मन माया जग कुटुंब छे न्याय जूलु,
तेने दूर उवेखो. आतम. १ भक्ति माता बोध पिता छे, कर्मयोग छे भाई, उपासना छे बहेनी नीति, जीवननी छे कमाई. आतम. २ शुद्ध परिणति साची स्त्री छे, शुद्ध स्वरूपी सुहाई, निजथी भिन्न कदापि न थाये, पूर्णानंद प्रदायी. आतम. ३ सात्त्विक परिणति साची सासु, ध्यान तेससरो पेखो, केवल ज्ञान ते पुत्र पवित्र ज, प्रगटे निश्चय एको. आतम. ४ असंख्य प्रदेशी साचुं घर छे, टळे खरे नहीं क्यारे, अन्तर दृष्टि प्रगटे ज्यारे, कुटुंब प्रगटतु त्यारे. आतम. ५ आत्म कुटुंबनी साथे रमवू, शिक्षा छे सुखकारी, बुद्धिसागर आनंद मंगल, आत्म कुटुंब बलिहारी. आतम. ६
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