________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
समजु धोळे दहाडे, शुं चउटे लूटाय छे रे. चेतन. २ अवसर मळीयो शीदने चूके, गद्धानी पेठे | भुके, अरे जीव मळीयुं टाणुं, शीदने हारी जाय छे रे. चेतन. ३ अर्क तणां आफुलां जेवा, तन धन यौवन मन छे तेवां, हीरो हाथे चढीयो, चूकी क्यां भटकाय छे रे. चेतन. ४ चेत चेत आतम तुं चटपट, दूर करी दुनियानी खटपट, प्रेमे बुद्धिसागर सद्गुरू संगत सहाय छे रे. पामी अन्तर्धनने, आतम तो हरखाय छे रे. चेतन. ५
आप स्वरूप संभाळो, आतम आप स्वरूप संभारो, आतम!!! चिदानंद तुज धर्म खरो छे, निज उपयोगे धारो. आतम. १ जड क्रियाने जड तो करे छे, आतम उपयोग किरिया, आत्म स्वभावे आत्म धर्म छे, समजी ज्ञानी तरिया. आतम. २ हरिहर ब्रह्मा देव देवी सहु, आतमना छे दासा, प्रकृति बलथी नहीं प्रभुता, धर ऐसा विश्वासा. आतम. ३ आनंदनो दरियो तुं सदा छे, तुं प्यारी तुं प्यारो, हुं तुं ते ज्यां भेद नहीं त्यां, प्रगटे छे निर्धारी. आतम. ४ नभथी पण तुं सूक्ष्म अरूपी, गुण पर्याय आधारो; बुद्धिसागर अलख निरंजन, आपो आप सुधारो. आतम. ५
१३३
For Private And Personal Use Only