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मायामां शुं रह्यो म्हाली रे.
मुरख.६ काया मायाथी रे न्यारो, अरूपी अलख धारो; बुद्धिसागर मन प्यारो रे.
मुरख. ७ ___जडनो राग निवारो, चेतन! जडनो राग निवारो, चेतन! सुखनी बुद्धि जडमां मानी, मूढपणुं केम धारो; कोटी उपाये नामरूपमय, जडथी सुख न भाळो. चेतन. १ नामरूपना रागे राची, रहेतां नही सुख आरो; समजी फरी क्यां भूला भमतां, अंतर सत्य विचारो. चेतन. २ काम्यभावना अज्ञाने छे, मोहो पुदगल प्यारो; अमृत मूकी विष क्यां खातो, निज क्यां रूप विसारो.चेतन. ३ पुद्गल चूंथाणाने शुं चूंथे, शांति नही तलभारो; त्यागी दे जड सुखनी बुद्धि, एळे जन्म न हारो. चेतन. ४ अनुभव गम्य स्वरूप कर तारुं, नासे विषय विकारो, बुद्धिसागर चेतन चेतो, देखो घट उजियारो. चेतन. ५
सहुने छे मरवा, अन्ते सहुने छे मरवानुं अन्ते, सहुने भूलातुं करवानुं अंते. १ राजाराणी शेठ शेठाणी, शहेनशाहने बानु,
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