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बाहुबलीनी सन्झाय
(फूल तुम्हें भेजा है तर्ज) घोर भयंकर वन वगडामां, बहुबली धरे ध्यानरे, अंतरमां अभिमान भर्युने, मांगे केवळज्ञान रे, राजपाट त्याग करीने, त्यजी दीधो परिवार रे, एकज क्षणमां साधु थयाने, छोडी दीधो संसार रे. बधु तज्युंने पण न भूलायुं, मान अने अपमान रे,
संदेशो लेई ऋषभदेवनो, ब्राह्मी सुंदरी आवे रे, वडिल बंधु बाहुबलजीने,
बे बहेनो समजावे रे. गज थकी उतरो एहवू कहीने, थई थई अंतर ध्यान रे, आंख उघाडी जोयुं त्यांतो, आव्यों कंईक विचार रे. अभिमान रूपी गज पर हुं बेठो, ए समजायुं सार रे, साचुं ज्ञान थयुं अंतरमां, दूर थयुं अभिमान रे. पश्चात्ताप थयो अंतरमा सत्यवात समजाई रे, भूल जोईने बाहुबलीनी, आंखलडी भीजायरे. नानकडाए संदेशाथी, मुनिने आव्युं भान रे, जावू पूज्य प्रभुनी पासे, एहवो निर्णय थाय रे. नाना तोये मुजथी मोटां, सहुने लागुं पाय रे,
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