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गुरुगमथी भाई ज्ञान ग्रहो तुम ..................... पामर प्राणी न पारखे................................ मूरख जीवडा कांई न समज्यो
.....१४५ चेतन! अनुभव रंग रमीजे, ..................... .....१४५ चेतन! स्वारथीयो संसार .........................
......१४६ शाने तुं करे छे माया रे .......................... धर्म कर आतमा धर्म कर आतमा ...............
......१४८ ऊंघ नहीं आतमा ऊंघ नहीं आतमा .............
......१५० हार नहीं आत्मा ................. ................
......१५२ सर्व संसारना खेल छे कारमा ...................... स्वार्थना फंदमां सर्व दुनिया फसी अमूल्य शिक्षा ..
............. धर्मी बनो नरनार ........ .............. .....१५८ आत्मानी स्त्री.....
............ अपूर्व संयम सेवीशुं क्यारे अहो, ................ आतम!!! कोई न तारूं रे ............... तपिया! तन कां तपावे ........................... १६१ संतो! अचरिज वात न लागे.................... ....१६३ चार दिवसनुं चांदरणुं संसार- ......................१६४
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