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श्री संभवनाथ भगवान, चैत्यवंदन संभवजिनने सेवतां, संभवती निज ऋद्धि; क्षायिक नव लब्धि मळे, थती आत्मनी शुद्धि.. घातीकर्मना नाशथी, अर्हन पदवी पाम्या; आधि व्याधि उपाधिने, तुज ध्यानारा वाम्या.... आतमा ते परमातमा ए, व्यक्तिभावे करवा; संभवजिन उपयोगथी, क्षण क्षण दिलमां स्मरवा .........३
श्री अभिनंदन भगवान, चैत्यवंदन बाह्यांतर अतिशय घणी, अभिनंदन जिनराज; प्रभु गुणगणने पामवा, अंतरमां बहु दाझ. . ........ प्रभु गुण वरवा भक्ति छे, साध्य एज मन धरवू; घटाटोप शो गुणविना, गुण प्राप्तिमां परg. प्रभुगुण पोतामां छतां ए, आविर्भावने काजे; अभिनंदनने वंदतां, प्रकट गुणो थै छाजे.
श्री अभिनंदन भगवान चैत्यवंदन नंदन संवर रायना, चोथा अभिनंदन, कपि लंछन वंदन करो, भवदुःख निकंदन....
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