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चैत्यवंदन विभाग
श्री ऋषभ जिन चैत्यवंदन आदिदेव अलवसरु, विनीतानो राय; नाभिराया कुल मंडणो, मरुदेवा माय....... पांचसें धनुषनी देहडी, प्रभुजी परम दयाल; चोरासी लख पूर्वमुं, जस आयु विशाल.... वृषभ लंछन जिन वृषभ-धरुए, उत्तम गुणमणी खाण; तस पद पद्म सेवन थकी, लहीए अविचल ठाण. ........३
श्री ऋषभ जिन चैत्यवंदन आदिनाथ अरिहंत जिन, ऋषभ देव जयकारी; संघ चतुर्विध तीर्थने, स्थाप्युं जग सुखकारी. परमेश्वर परमातमा, तनुयोगे साकार; अष्ट कर्म दूरे कर्या, निराकार निर्धार..... साकारी अरिहंतजी ए, निराकारथी सिद्ध; बुद्धि सागर ध्यावतां, प्रगटे आतम ऋद्धि.
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