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बत्रीस जातना भोजन जमता, वेळा करीने भाई, एमां क्यांथी सांभळे नाथ, दानपुन्यथी दूर रह्यो तुं, फोगट फरे छे घमंडमां............................. रंगाई जाने...
मारी आंखोमां शंखेश्वर मारी आंखोमां शंखेश्वर आवजो रे, हुं तो पांपणना पुष्पे वधावू
.... मारा हैयाना हार बनी आवजो... तमे वामादेवीना जाया, त्रण लोकमां आप छवाया
......... मारा मननां मंदिरमां पधारजो... भवसागर छे बहु भारी, झोला खाती रे नावडी मारी
......... याना सुकानी बनी आवजो... मने मोहराजाए हराव्यो, मने मारग तारो भुलाव्यो
..... जीवनना सारथि बनी आवजो... मारा दिलमा रह्या छो आप, मारा मनमां चाले तारो जाप
.... मारा मनमां मयूर बनी आवजो...
यह है पावन भूमि यह है पावन भूमि, यहां बार बार आना, प्रभु वीरके चरणोंमें, आकर के झूक जाना.................यह०
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