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पींपीव पूं पूं त्रणण त्रुम् त्रुम्, भणण भुं भुं वागतां,
धप खणण खल बल तडाक त्रुं त्रुं, धडाक धुं धुं गाजतां, जय जयउ नंदा जयउ भद्दा, जयउ खत्तिय बल धरो, चोवीस जिननो दीक्षा उत्सव, शांति सद्गुण पाथरो.... .२ गमसारी धपणी, तुं तीणी तुं, वीणा वागे सुस्वरे, धा धा ततक धीं, धपं द्रों द्रों, देववाजा अनुसरे, स्याद्वादनय निक्षेप भंगी, द्रव्य गुणनो सागरो, श्री वीरवाणी धोध सहुनो, कर्म मल दूरे करो.. कड कडड भुस् कडडाट करी, भडभीर भैरव चूरतो, धम् धम् अवाजे चालतो, जिनभक्त परचा पुरतो, चारित्र - दर्शन विघ्नभंजन, धर्मरक्षा तत्परो, माणिभद्रजी कल्याणमाळा, संघने कंठे ठवो....
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