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चिहुं गति भ्रमण संसारमा, जन्म मरण जंजाल. पंचम-गति विण जीव ने, सुख नहीं त्रिहुं काल... ........४
नैवेद्य पूजाना दोहा अणाहारी पद में कर्यां, विग्गह गइय अनन्त. दूर करी ते दीजिये, अणाहारी शिव सन्त.
फल पूजाना दोहा इन्द्रादिक पूजा भणी, फल लावे धरी राग. पुरुषोत्तम पूजी करी, मागे शिव-फल त्याग..
चैत्यवंदन विधि विभाग (नीचे मुजब प्रथम इरियावहि करवी)
इच्छामि खमासमण सूत्र इच्छामि खमासमणो! वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहिआए, मत्थएण वंदामि. (भावार्थ : आ सूत्र द्वारा देवाधिदेव परमात्माने तथा पंचमहाव्रत-धारी साधु भगवंतोने वंदन थाय छे.)
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