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सुर नर ने तिर्यंच, निज निज भाषा रे; तिहां समजीने भवतीर, पामे सुख खासा रे. तिहां इन्द्रभूति गणधार, श्रीगुरु वीरने रे; पूछे अष्टमीनो महिमाय, कहो प्रभु अमने रे. तव भाखे वीर जिणंद, सुणो सहु प्राणी रे; आठम दिन जिननां कल्याण, धरो चित्त आणी रे............३
ढाल-२ श्री ऋषभनुं जन्म-कल्याण रे, वली चारित्र लद्यु भले वाण रे त्रीजा सम्भवनुं च्यवन कल्याण. भवि तुमे अष्टमी तिथि सेवो रे,
ए छे शिव-वधू वरवानो मेवो. .................. भवि१ श्री अजित-सुमति नमि जन्म्या रे, अभिनंदन शिवपद पाम्या रे;
___ जिन सातमा च्यवन दीपाव्या................. भवि.२ वीशमा मुनिसुव्रत स्वामी रे, जेहनो जनम होय गुण धामी रे;
बावीसमा शिव विसरामी...................... भवि.३ पारसनाथजी मोक्ष महंता रे, इत्यादिक जिन गुणवन्ता रे;
कल्याणक मुख्य कहन्ता...................... भवि.४ श्री वीर जिणंदनी वाणी रे, निसुणी समज्या भवि प्राणी रे;
आठम दिन अति गुण खाणी.................. भवि.५
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