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छप्पन कुमरी अमरी जल कलशे नवराविया रे,
___ नंदन तमने अमने केली घरनी मांहि; फूलनी वृष्टि कीधी योजन एकने अंतरे,
बहु चिरंजीवो आशीष दीधी तुमने त्यांहि..हालो.१२ तमने मेरुगिरि पर सुरपतिए नवराविया,
निरखी निरखी हरखी सुकृत लाभ कमाय; मुखडा उपर वारु कोटि कोटि चंद्रमा,
वली तन पर वारु ग्रह-गणनो समुदाय...हालो.१३ नंदन नवला भणवा निशाले पण मूकशुं रे,
गज पर अंबाडी बेसाडी मोटे साज; पसली भरशुं श्रीफल फोफल नागर वेलशुं रे,
सुखलडी ले| निशालियाने काज. हालो.१४ नंदन नवला मोटा थाशो ने परणावशुं रे,
वहुवर सरखी जोडी लावशुं राजकुमार; सरखा वेवाई वेवाणोने पधरावशुं रे,
___ वर वहु पोखी ले| जोई जोईने देदार. हालो.१५ पीयर सासरूं मारा बेहुं पख नंदन ऊजला रे,
मारी कूखे आव्या तात पनोता नंद;
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