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परम इश्वर सदा ऋद्धि क्षायिकधणी, पौद्गलिक भावथी देव न्यारो; शर्म अनंतनो भोग तुं भोगवे, पूज्य तुं प्राणथी मुज प्यारो.....
.......... तारहो० ४ द्रव्यथी भावथी शरण छे ताहरूं, शुद्ध उपयोगमा तुं प्रभासे; बुद्धिसागर प्रभो तारशो बापजी, ध्यानना योगमां देव पासे. ..
................. तारहो० ५ बोरीज मंडण श्री वर्धमान जिन स्तवन प्रभुनी शक्तिनो नहि पार, त्रिशलानन्दन छो बळवान, चरणे मेरुने ध्रुजाव्यो, एवा बळशाळी भगवान, .......... टेक. योद्धा निरख्या सहु जगना, जे अतिशय शक्ति धरावे, योद्धा श्रेष्ठ जगतमां आप, योद्धा सर्वे मूके मान.......प्रभु० १ आत्मशक्तिना पाठो, प्रभुए जगने उपदेश्या, जे शक्ति आपे मोक्ष, एवा शीखव्यां उत्तम गान. .......प्रभु० २ तप धार्यु उग्रवनमां, प्रभु केवलज्ञानने माटे, सहता घोर अति उपसर्ग, तार्या जनने आपी ज्ञान....प्रभु० ३ प्रगट्या प्रभु बोरीज गामे, महावीर प्रभुने नामे, मनहर मूर्ति कला अपार, करता गुणीजन जेनुं ध्यान.प्रभु० ४
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