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प्रभु जापे प्रभु घटमां प्रकाश्या, प्रगटी सुखनी खुमारी रे; बुद्धिसागर महावीर लगनी, प्रगटी न उतरे उतारी रे. . ॐ अहँ ६
श्री महावीर स्वामी स्तवन दीन दुःखीयानो तुं छे बेली... तुं छे तारणहार... तारा महिमानो नही पार...(२) राजपाटने वैभव छोडी, छोडी दीधो संसार... तारा महिमानो नही पार...(१).......... 'चंडकोशीयो' डसीयो ज्यारे, दूधनी धारा पगथी निकळे विषने बदले दूध जोईने, चंडकोशीयो आव्यो शरणे 'चंडकोशीया' ने तें तारी, कीधो घणो उपकार... तारा महिमानो नही पार...
.........२ कानमां खीला ठोक्या ज्यारे, थई वेदना प्रभुने भारे, तोये प्रभुजी शान्त विचारे, गोवाळनो नही वांक लगारे, क्षमा आपीने ते जीवोनो तारी दीधो संसार... तारा महिमानो नही पार........... महावीर, महावीर! गौतम पुकारे, आंखेथी अश्रुनी धारा वहावे क्यां गया मुजने एकला छोडीने?
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