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बुद्धिसागर परिपूर्ण शक्तिमयी, आतमा आत्मरूपेज भास्यो.
.......... पार्श्व० ५ श्री महावीर स्वामी स्तवन करुणा सागर जीवजीवन प्रभु वीरजी, अनंत गुणना धारक प्राण आधार जो, मुजने मूकी भव अटवीमा एकलो, आप सिधाव्या मुक्तिपुरीमां नाथ जो............करुणा सागर १ सिद्ध-बुद्ध अविनाशी पदना भोगी छो, हुँ छु पामर मोहजाळमां मग्न जो, नाथ निहाळी शरणे आव्यो आपना, तार तार हे तारक देव दयाळ जो............करुणा सागर २ समवसरणे बेसी अमीरस वाणीथी, ज्यारे करता प्रभुजी भवि उपकार जो, ते वेळा हुं भाग्य विहुणो कई गति? जेथी न पाम्यो भव सागरनो अतं जो..........करुणा सागर ३ ज्ञान अनंतु सुख अनंतु ताहरे, क्षायिक भावे वर्ते छे तुज गुण जो, पण हुं पापी रमण करु पर भावमां, तो किम पामुं स्वरूप रमण- सुख जो.......करुणा सागर ४
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