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काशी देश वाणारसी नगरी, जन्म लीयो प्रभु क्षत्रिय कुलमें.
.कोयल.१. बालपणामां प्रभु अद्भुत ज्ञानी, कमठको मान हो एक पलमें. ...............
..कोयल.२. नाग निकाला प्रभु काष्ठ चिराकर, नागकुं सुरपति कीयो एक छीन में. ............. .कोयल.३. संयम लई प्रभु विचरवा लाग्या, संयममें भींज गयो एक रंग में.
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कोयल.४. समेत-शिखर प्रभु मोक्षे सिधाव्या, पार्श्वजी को महिमा तीन जगत में. ..............
.कोयल.५. उदय रतन की एही अरज है, दिल अटको तोरा चरण कमल में....................कोयल.६.
श्री पार्श्वनाथ स्तवन अंतरजामी सुण अलवेसर, महिमा त्रिजग तुमारो; सांभलीने आव्यो हुं तीरे, जन्म मरण दुःख वारो. सेवक अर्ज करेछे राज, अमने शिवसुख आपो. ........१ सहुकोनां मनवंछित पूरो, चिंता सहुनी चूरो; एहq बिरुद छे राज तमारुं, केम राखो छो दूरे...... सेवक.२
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