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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांच कोडीने फूलडे, पाम्या देश अढार. राजा कुमारपालनो, वो जय-जय-कार......... छे प्रतिमा मनोहारिणी, दुःखहरी श्री वीर जिणंदनी; भक्तोने छे सर्वदा सुखकरी, जाणे खीली चांदनी. आ प्रतिमाना गुण भाव धरीने, जे माणसो गाय छे; पामी सघलां सुख ते जगतनां, मुक्ति भणी जाय छे. ...... १० आव्यो शरणे तमारा जिनवर! करजो आश पूरी अमारी; नाव्यो भवपार मारो तुम विण जगमां सार ले कोण मारी?. गायो जिनराज! आजे हरख अधिकथी परम आनंदकारी; पायो तुम दर्श नासे भव-भय-भ्रमणा नाथ! सर्वे अमारी....११ श्री आदीश्वर शांति नेमि जिनने, श्रीपार्श्व वीर प्रभुः ए पांचे जिनराज आज प्रणमुं, हेजे धरी ए विभु. कल्याणे कमला सदैव विमला, वृद्धि पमाडो अति; एहवा गौतम स्वामी लब्धि भरीआ, आपो सदा सन्मति.... १२ सुण्या हशे पूज्या हशे निरख्या हशे पण को क्षणे; हे जगत-बंधु! चित्तमां धार्या नहि भक्तिपणे................... जन्म्यो प्रभु ते कारणे दुःखपात्र आ संसारमां; हा! भक्ति ते फलती नथी जे भाव शून्याचारमा............. For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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