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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री अरनाथ स्तवन अरनाथकुं सदा मोरी वंदना मेरे नाथकुं सदा मोरी वंदना. जग उपकारी घन ज्यों वरसे, वाणी शीतल चंदना.. अर० १ रूपे रंभा राणी श्री देवी; भूप सुदर्शन नंदना........... अर० २ भाव भगति शुं अहनिश सेवे, दुरित हरे भव फंदना. अर० ३ छ खंड साधी भीति द्वेधा कीधी, दुर्जय शत्रु निकंदना.अर० ४ 'न्यायसागर' प्रभु सेवा-मेवा, मागे परमानंदना........ अर० ५ श्री अरनाथ स्तवन अरजिनवर! प्रभु! वन्दना, होजो वारंवार; क्षायिक-रत्नत्रयी वर्यो, शुद्ध बुद्धावतार. ... अर० १ अष्टकर्मना नाशथी, अष्ट गुणोने धरंत; गुण एकत्रीसने तें धर्या, साध्यसिद्धि वरंत............. अर० २ क्षपकश्रेणी-रणक्षेत्रमां, हण्यो मोह प्रचंड; त्रिभुवनमा साम्राज्यनी, चलवी आण अखंड. .......... अर० ३ घातिकर्म-प्रकृति हरि, पाम्या केवलज्ञान; पुरुषोत्तम अरिहा प्रभु, दीधुं देशना दान. . अर० ४ योगविकार शमावीने, शेष कर्म जे चार; हणीने शिवपुर पामिया, धन्य! धन्य! अवतार.......... अर० ५ १२० For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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