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................शान्ति
सद्गुरु परंपरारे, आगमना आधारे; उपशमभावथीरे, शान्ति घटमां धारे. ...... शान्ति० ५ साधुसंगतेरे, पामी ज्ञाननी शक्ति; समतायोगथीरे, प्रगटे शान्ति-व्यक्ति.
शान्ति०६ चेतन द्रव्यनुरे, करवू ध्यान ज भावे; चंचलता हरेरे, साची शान्ति आवे....
शान्ति०७ सत्य-समाधिमारे, शान्ति सिद्धि बतावे; रसिया योगीओरे, शान्ति साची पावे. ............... शान्ति० ८ सिद्धसमा थईरे, शान्तिरूप सुहावे; स्थिरउपयोगथीरे, बुद्धिसागर पावे. .... शान्ति० ९
श्री शान्तिनाथ स्तवन जय जय शान्ति जिनन्द, जगतमां जय जय शान्ति जिनन्द; आप तर्या ने परने तारो, सेवे चोसठ इन्द्र........ जगतमां० १ पूरण शान्ति प्रेमे लीधी, दोष करी सहु दूर; जगतमां० जन्मजरामरणादिक वारी, सुख पाम्या भरपूर.... जगतमां० २ समवसरणमां देशना देई, तार्यां प्राणी अनेक; जगतमां० सेवक तारो कृपा करीने, आपो सत्य विवेक.....जगतमां० ३ पाप कर्यां में भवमां भारे, गणतां नावे पार; जगतमां०
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