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पुस्तकालय : इस पुस्तकालय में अभ्यासीयों के उपयोग
हेतु जैन दर्शन न्याय, व्याकरण, इतिहास आदि की १००,००० से अधिक हस्तलिखित प्राचीन प्रतों, १००० से अधिक प्राचीन ताडपत्रीय ग्रंथो के साथ-साथ ५०,००० से अधिक मुद्रित पुस्तको एवं प्रतों का संग्रह किया गया है। इनमें से काफी ग्रन्थ तो आज अलभ्य माने जाते हैं। ऐसे ग्रंथों की प्राप्ति का प्रवाह निरंतर जारी है। इन सभी की सूची के कम्प्युटरीकरण का कार्य प्रगति पर है । ताडपत्रीय एवं हस्तलिखित ग्रंथों को बाहरी वातावरण से मुक्त खास वैज्ञानिक ढंग से निर्मित कक्षों में रखा जाएगा, जिससे वे दीर्घ काल तक सुरक्षित रह सकें । वाचनालय : इस खण्ड में देश-विदेश से प्रकाशित होने
वाली शोधपत्रिकाएँ, सात्विक सामयिक एवं बोधदायक पुस्तकों को रखा जाएगा, जिससे यहाँ रहने वाले विद्वानों एवं दर्शनार्थ आनेवाले यात्रिकों
को इनका फायदा मिल सके। संशोधन केन्द्र : यहाँ पर संशोधन कार्य हेतु ऐसी विशिष्ट सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाएँगी कि जिससे यहाँ आने वाला संशोधनार्थी अपने मनपसंद विषय के चयन से ले कर कम समय में उच्छ गुणवत्ता
युक्त संशोधन का कार्य बड़ी आसानी से कर सकेगा। संग्रहालय : यहाँ पर प्राचीन जैन चित्रों, विज्ञप्तिपत्रों,
पटों, धातु-पाषाण-काष्ट आदि की बेनमून शिल्पाकृतियों के साथ-साथ अर्वाचीन कला कृतियों
का अभ्यासार्थ प्रदर्शन रखा जाएगा। कलादीर्घा : ज्ञानमंदिर के इस खण्ड में भगवान महावीर
स्वामी के विविध जीवन प्रसंगों को जन सामान्य
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