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आज जर्वाक सर्वत्र सद्भावना की कमी अरवरती है, ऐसे में सद्भावना दिवस के उपलक्ष्य में दिये गए आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के एक प्रवचन के ये मननीय अंश अपने में बहुत अहमियत रखते हैं. इन्हें मेरे परम श्रद्धेय मुनि प्रवर श्री विमलसागरजी म. ने हमारे लिए सम्पादित किया है. इनका पठन - पाठन वैचारिक सद्भावना का सूत्रपात करेगा - ऐसी मेरी आस्था है.
कृपया इन्हें उन हाथों तक पहुँचाइये, जहाँ ये गीत बनकर सद्भावना का संगीत प्रवाहित करें ९ मार्च,
- जिगर जे. शाह १९९३.
उस्मानपुरा, अहमदाबाद.
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