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जो वास्तव में ही धर्म है, वह कभी अधर्म नहीं बनता. पैकिंग गलत हो सकता है, माल गलत थोड़े ही होता है ? धर्म की असलियत में कभी कोई विकृति नहीं आती. बाहर के पैकिंग से नहीं, अन्दर के माल से मतलब रखिये. यदि माल सही है तो पैकिंग कैसा भी हो, स्वीकार्य है.
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