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अकबर बादशाद के पास एक मुल्ला आया और अकबर बादशाद को कहा-" मैं एक अजीब खेल आप के सामने पेश करना चाहता हूँ । इस खेल के वास्ते मैं ने चार मास खूब प्रयास किया है । बादशाह ने इजाजत दे दी । खेल शुरू हुआ । मुल्ला ने बिल्ली का डान्स सुरु किया । डुगडुगी बजती रही और बिल्ली नाचने लगी । दों पांव के ऊपर खडे रहके नाचती रही । दीपक सीर के ऊपर रख कर एकाग्रता से नाचने लगी। बादशाह खुश हुआ। बादशाह ने बिरबल से कहा कि इस मुल्ला को अच्छा इनाम दिया जाय । बिरबल होशियार था । उसने अंदर जा कर एक चूहा मँगाया और बिल्ली की तरफ छोड दिया । नाचती हुई बिल्ली ने जब चूहा देख लिया तो डान्स छोडकर चूहे के तरफ भाग पडी। चार महीने का सब ट्रेनींग खतम हो गया । - अपनी स्थिति और बिल्ली की स्थिति में कोई अंतर नहीं है। साधू महाराज आते है चातुर्मास में अखंड आपको धर्मशिक्षा दी जाती है । आप बडी एकाग्रता से सुनते हो । उपाश्रय में तो आप की समाधि लगती है। साधू महाराज तो सोचते है-ट्रेनींग तो अच्छा हुआ। हमारा चातुर्मास सफल हो गया । लेकिन आप इधर से घर जाते हो जब लोभ रुपो चूहा आपके सामने आता तब सब भूल जाते हो और उस लोभ रुपी चूहे की तरफ दौडते हो !
लोभ का साम्राज्य सारे जगत् पर छाया हुआ है। हमारा
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