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मेरी ओर से....
"अर्हम् नमः"
परमात्मा वीतराग भगवंत का प्रवचन एक प्रकाश है. जिसमें कहां और कैसे चलना इसका मार्ग दर्शन मिलता है. संसार को देखने की कला-दृष्टि प्राप्त होती है. वीतराग भगवंत के विचारों को आचार तक पहुंचाने की प्रेरणा भी प्रवचन के द्वारा मिलती है.
इस पुस्तक में यही प्रयास किया गया है कि किस प्रकार जीवन-ज्योतिमय बनें, 'स्व' में 'सर्व' को और 'सर्व' में 'स्व' को देखने की जीवन दृष्टि प्राप्त हो.
इन प्रवचनों के चिंतन-मनन द्वारा सर्व आत्माओं को स्वयं की पवित्रता - पूर्णता प्राप्त हो यही मेरी ओर से पाठकों को शुभ संदेश है.
शुभेच्छु आचार्य पद्मसागरसूरि पाली (राज)
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