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सत्य सदाचार
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परम सत्य का प्रकाश :
इस धर्म बिन्दु ग्रन्थ में साम्प्रदायिक विकृति नहीं मिलेगी. पक्षपात नहीं होगा. दृष्टि दोष नहीं मिलेगा. परम सत्य का प्रकाश जब जीवन में आ जाता है तो वह व्यक्ति कभी गलत नहीं बोलेगा. गलत आचरण नहीं करेगा. उसके जीवन में पूर्ण परिवर्तन आ जायेगा, जैसे उपचार के बाद आरोग्यता सहज में ही आ जाती है. यदि मकान में प्रकाश हो या उसके दरवाजे खिड़कियां मजबूती से बन्द हो या चौकीदार जागता हो तो इनमें से किसी भी अवस्था के होने पर मकान में जिस तरह चोर नहीं घुसेगा, उसी तरह यदि आत्मारामभाई के मकान में ज्ञान का प्रकाश हो अथवा विवेक का चौकीदार बैठा हो अथवा इन्द्रिय का दरवाजा बन्द हो तो दुर्विचारों का चोर कभी भी आत्मा रूपी मकान में नहीं घुसेगा.
सत्य और प्रामाणिकता :
सत्य और प्रामाणिकता एक ही चीज है. जहाँ पर सत्य होगा, वहाँ पर प्रामाणिकता अवश्य मिलेगी और जहाँ पर प्रामाणिकता होगी वहाँ पर सत्य भी प्रतिष्ठित मिलेगा. ये एक ही चीज को समझने के लिए दो नाम है. जीवन में प्रामाणिकता लाने के लिए सदाचार का बल चाहिये.
यह Human Nature है, अनादि कालीन संस्कार है. दुराचार मन में घर कर चुका है, जिसे दृढ़ संकल्प शक्ति से ही बाहर निकाला जा सकता है. 'संकल्पात् जायते सिद्धि'- मन
दृढ़ संकल्प हो तभी सिद्धि मिलती है. हमें अपने चरित्र को बनाना है. 'प्राणभूत चारित्रस्य परब्रह्मैक कारकं ' हमारे यहाँ चारित्र को प्राण माना गया है. अपने चरित्र का दुराचार से रक्षण करना है, 'श्रेयम् ते मरणं भवे'- प्राण का मूल्य चुका कर भी सदाचार का रक्षण करना है. सदाचार ही जीवन का बल है चारित्र का बल है.
अहमदाबाद के अन्दर हमारे एक श्रावक थे. एक मकान उन्होंने किसी कारणवश खरीदा. श्रावक ने मकान नया बनवाने का विचार किया. पुराने मकान की नींव दुबारा खुदवाई तो उस श्रावक को उसके अन्दर गड़ा धन मिला. पुराने जमाने में सेल्फ डिपोजिट था नहीं. लोग जमीन के अन्दर दबाकर सम्पत्ति को सुरक्षित रखते थे. मकान एक के बाद एक कई हाथों में बिकने के बाद श्रावक ने एक मुसलमान से खरीदा था. श्रावक का आचरण कितना प्रामाणिक कि तुरन्त सारा धन लेकर पुराने मकान मालिक के पास गया और धन स्वीकार करने के लिए उससे प्रार्थना की. उस समय के लोगों का आचरण बड़ा प्रामाणिक होता था. उस मुसलमान ने सम्पत्ति को लेने से इन्कार कर दिया- मैं पच्चीस वर्षों तक उस मकान में रहा हूँ. खुदा की इच्छा के आगे में दखल नहीं दूंगा. जब मैंने मकान बेच दिया है तो वहाँ की किसी भी वस्तु
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